9303753286127016 टॉप 25 भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय – Famous Mathematicians Of India In Hindi

टॉप 25 भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय – Famous Mathematicians Of India In Hindi

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भारत में आर्यभट्ट, ब्रहमगुप्त, रामानुजन और डी. आर. कापरेकर, नीना गुप्ता जैसे कई महान गणितज्ञ हुए। जिन्होंने अपने कार्य से सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपना नाम किया। इस लेख में टॉप 10 भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय और उनके योगदान का जिक्र किया गया है।

थोड़ा सा कल्पना कीजिये अगर भारत के गणितज्ञ आर्यभट्ट दुनियाँ को शून्य का ज्ञान नहीं दिया होता तब क्या होता। हम कालकुलेशन कैसे करते। अगर आप किसी एक भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय के बारें में विस्तार से जानना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए उपयोगी हो सकता है।



इसमें भारत के ऐसे सी कुछ प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ की जीवनी दी गई है। हमें आशा है की भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय शीर्षक वाला यह लेख आपको जरूर पसंद आएगा।

टॉप 20 भारतीय गणितज्ञ की जीवनी – Biography Of
Indian Mathematician In Hindi

1. आर्यभट्ट (Aryabhata)

1. आर्यभट्ट (Aryabhata)

भारतीय के गणितज्ञ सूची में आर्यभट्ट का नाम सर्वोपरि है। दुनियाँ को शून्य संख्या से परिचय करने वाला प्राचीन भारत का महान गणितज्ञ आर्यभट्ट को माना जाता है। उन्होंने ही विश्व को शून्य का ज्ञान दिया। आर्यभट्ट को प्राचीन भारत का महान गणितज्ञ-खगोलविद माना जाता है।

भारत इस गणितज्ञ विद्वान ने गणित के साथ साथ खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया। इन्होंने बीजगणित, त्रिकोणमिति, भिन्न, द्विघात समीकरण और अंकगणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उनके द्वारा रचित ग्रंथ आर्यभटीय आज भी गणित के छात्र के लिए अत्यंत उपयोगी ग्रंथ है। भारत सरकार ने इनके सम्मान में भारत के प्रथम उपग्रह का नाम ‘आर्यभट’ रखा था। भारत के इस पहले सेटलाइट का परिक्षेपण किया। आर्यभटटा की मृत्यु 550 ईस्वी में हुई।

2. ब्रह्मगुप्त (Brahmagupta)

2. ब्रह्मगुप्त (Brahmagupta)

प्राचीन भारत के गणितज्ञ में ब्रहमगुप्त का नाम सर्वोपरि है। गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त का जन्म राजस्थान के ‘भीनमाल नामक स्थान पर ईस्वी सन् 598 में माना जाता है। इनका नाम प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ में लिया जाता है।

गणितज्ञ के अलावा ब्रह्मगुप्त प्राचीन भारतवर्ष के प्रसिद्ध ज्योतिशचार्य और खगोलशास्त्री भी थे। उन्हें हर्षवर्धन का समकालीन माना जाता है तथा वे उज्जैन वैधशाला के प्रमुख भी रहे। इन्होंने संख्या प्रणाली और रैखिक समीकरण पर गहन कार्य किया।

ब्रह्मगुप्त ने ही सर्वप्रथम शून्य के नियम और उनके गुणों से अवगत कराया। साथ ही उन्होंने शून्य के उपयोग का नियम प्रतिपादित किया। इन्होंने ब्रह्मस्फुट सिद्धान्त और खण्ड-खाद्यक नामक ग्रंथ की रचना की।

3. भास्कराचार्य (Bhaskaracharya)


भारत के प्राचीन गणितज्ञ भास्कराचार्य, भास्कर II के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। 12 वीं शताब्दी के सबसे प्रसिद्ध गणितज्ञों में इनका नाम सम्मिलित है। भास्कराचार्य का जन्म 1114 ईस्वी में कर्नाटक के बिज्जरगी नामक स्थान पर हुआ था।

बचपन से अति प्रतिभाशाली रहे भास्कर ने गणित का ज्ञान अपने पिता से सीखी। भास्कराचार्य को ब्रह्मगुप्त की संख्या प्रणाली पर आगे कार्य करने के लिए जाना जाता है। इन्होंने प्रसिद्ध ग्रंथ सिद्धांत शिरोमणि की रचना की।

इस ग्रंथ को चार अध्याय लीलावती, ग्रहगणिता, बीजगणित और गोलाध्याय में विभाजित है। इनका गणित की विविध शाखाओं जैसे की त्रिकोणमिति, ग्रहगणित, बीजगणित, अंकगणित, ज्यामिति, सांख्यिकी आदि में अमूल्य योगदान दिया।

4. गणितज्ञ एस रामानुजन (S. Ramanujan)


भारत के गणितज्ञ के नाम में श्रीनिवास रामानुजन की गिनती एक महान गणितज्ञ के रूप में की जाती है। गणित में इनके योगदान के लिए पूरे विश्व में अलग पहचान है। भारतीय गणितज्ञ रामानुजन का व्यक्तित्व एवं गणित में योगदान अविस्मरणीय रहा है।

गणित के विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्र में उनका योगदान भूलने योग्य नहीं है। श्रीनिवास रामानुजन को सर्वप्रथम संख्याओं के सिद्धांत को प्रतिपादन के लिए जाना जाता है। श्रीनिवास रामानुजन ने गणित विषयों के करीब 3,884 प्रमेयों का संकलन किया।

उन्होंने अंकगणित सहित गणित के सभी आयामों को छुआ तथा गणित से जुड़े अनेकों फार्मूला का आविष्कार किया। गणित की दुनियाँ में उनका नाम बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है।

उन्हें पाई के अध्ययन में योगदान के लिए भी जाना जाता है। उनके नाम पर गणित के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु विश्व प्रसिद्ध रामानुजन प्रदान किया जाता है।

5. भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ ‘डी आर. कापरेकर


दत्तात्रेय रामचंद्र कापरेकर जी का मनोरंजात्मक गणित के क्षेत्र में अहम योगदान माना जाता है। भारत के इस गणितज्ञ को प्राकृतिक संख्याओं के विभिन्न वर्गों का विशेष अध्ययन के लिए जाना जाता है।

उन्होंने संख्या सिद्धांत के क्षेत्र में कार्य करते हुए कई महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त किए। उन्होंने संख्याओं के कई गुणों का वर्णन कर गणित के प्रसिद्ध सिद्धांत दिया। उनका यह सिद्धांत कापरेकर स्थिरांक के नाम से जाना जाता है।

इन्होंने कापरेकर संख्या और डेमलो संख्या की खोज की थी। लेकिन दुख की बात यह है की उन्हें अपने देश में ख्याति और सम्मान तब मिला जब अमेरिका के बैज्ञानिक मार्टिन गार्डनर ने इनके शोध को एक पत्रिका में पढ़ कर प्रभावित हुए थे।

6. गणितज्ञ ‘नरेन्द्र कृष्ण करमाकर



नरेन्द्र कृष्ण करमाकर (Mathematician NarendraKrishna Karmakar)- भारत के महान गणितज्ञ थे। गणित के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए नरेंद्र कृष्ण कर्मकार का नाम प्रसिद्ध हैं।

इन्हें गणित के जटिल एलगोरिथम ‘कर्मकार एलगोरिथम’ के खोज के लिए जाना जाता है। उनका यह एलगोरिथम छात्रों के लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ। नरेंद्र कृष्ण कर्मकार का जन्म 15 नवंबर 1957 ईस्वी में भारत के मध्यप्रदेश में हुआ है।

उनहोंने भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के रुप मे भी अपना योगदान दिया। वे सन 1988 से 2005 तक टाटा इंस्टीटयूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, पुणे मे अध्याक्ष के पद पर भी कार्य किए। गणित में योगदान के लिए उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए।


7. भारतीय महिला गणितज्ञ ‘नीना गुप्ता’



गणितज्ञ नीना गुप्ता विश्व प्रसिद्ध रामानुजन अवॉर्ड जीतने वाली भारत की तीसरी महिला हैं।  आधुनिक भारत की प्रसिद्ध गणितज्ञ नीना गुप्ता ने उस बक्त सबको चौंका दिया जब उन्होंने 62 साल पुरानी गणित की जटिल समस्या को हल करने में कामयाबी हासिल की।

वर्तमान में नीना गुप्ता कोलकाता के इंडियन स्टैस्टिकल इंस्टीट्यूट की फैकल्टी मेंबर के रूप में कार्यरत हैं। श्रीनिवास रामानुजन पुरस्कार पाने वली वे भारत की चौथे गणितज्ञ हैं।

गणितज्ञ नीना गुप्ता को  2019 में भारत के प्रसिद्ध शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। यह पुरस्कार उन्हें साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया।

उन्हें जरिस्की कैंसिलेशन प्रॉब्लम को सुलझाने के लिए 2014 में इंडियन नेशनल साइंस अकेडमी का यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी प्रदान किया गया था।

8. गणितज्ञ ‘डॉ हरीश चन्द्र



डॉ हरीशचन्द्र महरोत्रा  भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ और भौतिक वैज्ञानिक थे। कहते हैं की जिस तरह रामानुजन ने गणित के क्षेत्र में अपना नाम कमाया। उसी प्रकार डॉ हरीश चन्द्र ने भी गणितज्ञों के बीच में बहुत प्रसिद्ध हुए।

कहा जाता है की शुरुआत में उनकी रुचि भौतिक शास्त्र में थी लेकिन बाद में उनका झुकाव गणित के तरफ अधिक हो गया। उन्होंने उन्होंने गणित पर शोध करते हुए मॉडर्न मेथमेटिक्स के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देकर दुनियाँ का ध्यान उनकी तरफ आकृष्ट किया।

आज उनकी गिनती उन्नीसवीं शदाब्दी के महान गणितज्ञ में की जाती है। गणितज्ञ हरीश चन्द्र महरोत्रा का जन्म 11 अक्तूबर 1923 ईस्वी में कानपुर में हुआ था। 

उनके सम्मान में प्रयागराज यूनिवर्सिटी के प्रसिद्ध संस्थान “मेहता रिसर्च इन्सटिट्यूट” का नाम बदल कर हरिश्चंद्र अनुसंधान संस्थान किया गया।

9. प्राचीन भारत के गणितज्ञ ‘वाराहमिहिर’


वाराहमिहिर अति प्राचीन भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ, ज्योतिष और खगोलशास्त्री माने जाते हैं। अपने समय में वाराहमिहिर सबसे सटीक भविष्यवाणी के लिए प्रसिद्ध थे। वाराहमिहि को शून्य के आविष्कारक आर्यभट्ट का शिष्य कहा जाता है।

वे गणित के साथ-साथ ज्योतिष विज्ञान के परम ज्ञाता थे। साथ ही उन्हें वेद का भी असधारण जानकारी थी। गणित में प्रकांड विद्वान वाराहमिहिर को ज्योतिष शास्त्र और सटीक भविष्यवाणी के लिए अत्यंत ही प्रसिद्ध हुए।

अपने विद्वता के वल पर ही उन्होंने राजा विक्रमादित्य द्वितीय के दरवार में नौ रत्नों में एक कहलाये। उन्होंने गणित व ज्योतिष ज्ञान से संबंधित एक वृहद ग्रंथ तैयार किया। जो पंचसिद्धांतिका के नाम से जानी जाती है। आज भी उनका यह ग्रंथ को मानक ग्रंथ के रूप में पहचान है।

10. भारतीय महिला गणितज्ञ ‘शकुंतला देवी


मानव कम्प्यूटर के नाम से प्रसिद्ध शकुंतला देवी को कठिन से कठिन मानसिक गणितीय गणना को चुटकियों में सुलझाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने कंप्युटर जैसे तेज दिमाग का कारण अपने प्रतिभा से दुनियाँ में एक अलग छाप मुकाम हासिल कर भारत को गौरान्वित किया।

एक निर्धन परिवार में पली-बढ़ी शकुंतला देवी के बारें में कहा जाता है की बचपन से ही उनके अंदर अद्भुत प्रतिभा मौजूद थी। जटिल से जटिल गणितीय मानसिक गणनाएं को पलक में हल कर देना मानों गॉड गीफटेड थे। सबसे बड़ी बात यह रही की उनकी कोई औपचारिक शिक्षा भी नहीं हुई थी।

11. भारतीय महिला गणितज्ञ ‘सुजाता रामदोरई’

भारतीय महिला गणितज्ञ में सुजाता रामदोरई का नाम शामिल है। भारत में इनका  गणित के क्षेत्र में जानी पहचानी नाम हैं। उन्होंने लंबे समय तक TIFR मुंबई में गणित की प्रोफेसर के रूप में कार्य कि।

डॉ. रामदोराई ने द्विघात रूपों के बीजगणितीय सिद्धांत, अंकगणितीय ज्यामिति तथा इवासावा सिद्धांत के क्षेत्रों में भी उत्कृष्ट योगदान दिया। हालांकि प्रारंभ में उन्होंने द्विघात रूपों के बीज गणितीय सिद्धांत पर अपना ध्यान केंद्रित किया।

गणित के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए 2004 में उन्हें भारत का सर्वोच्च वैज्ञानिक सम्मान शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार प्रदान किया गया।

वर्ष 2006 में उन्होंने गणित के क्षेत्र में विश्व का का सबसे बड़े सम्मान रामानुजन पुरस्कार से अलंकृत किया गया। इस प्रकार रामानुजन पुरस्कार को पाने वाली गणितज्ञ सुजाता रामदोरई प्रथम भारतीय हैं।

12. गणितज्ञ ‘अमलेंदु कृष्णा’

अमलेंदु कृष्णा की गिनीति भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ के रूप में की जाती है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च से जुड़े अमलेंदु कृष्णा को 3 अगस्त 2015 को वर्ष 2015 के लिए रामानुजन पुरस्कार प्रदान किया गया।

इस पुरस्कार को पाने वाले वे दूसरे भारतीय हैं।  डॉ कृष्णा ने एल्ज़ेब्रिक के थ्योरी, एल्ज़ेब्रिक साइकिल और थ्योरी ऑफ़ मोटिव्स में उत्कृष्ट योगदान दिया। अमलेंदु कृष्ण का जन्म बिहार के मधुबनी में 1971 में हुआ था।

13. भारतीय गणितज्ञ ‘राज चन्द्र बोस

राजचन्द्र बोस एक महान भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ एवं सांख्यिकीविद कहलाते हैं। उन्हें प्रयोगों के डिजाइन और बहु-विषयक विश्लेषण पर विशेष शोध के लिए प्रसिद्ध हैं।

उन्होंने ‘डिजाइन सिद्धान्त’ तथा ‘थिअरी ऑफ एरर करेक्टिंग कोड्स‘ पर काम करते हुए दुनियाँ में नाम कमाया। इस सिद्धांत की खोज के कारण राम चंद्र बोस समूचे दुनियाँ में गणितज्ञ के रूप में प्रसिद्ध हो गए। गणित जगत में उनका नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है।

14. गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म बिहार के भोजपुर जिले में हुआ था। कहते हैं की उनकी विलक्षण प्रतिभा का डंका सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेश तक सुनाई दी। गणित के ‘चक्रीय सदिश समष्टि सिद्धान्त’ पर उनके द्वारा किए गए उल्लेखनीय योगदान ने उन्हें विश्व प्रसिद्ध बना दिया।

अपने कैरियर में उन्हें नासा में भी काम करने का मौका मिला। लेकिन अफसोस बस उन्हें एक जटिल मानसिक विमारी ने जकड़ लिया। जिससे वे जीवन पर्यंत जूझते रहे और वर्ष 2019 में पटना में उनका निधन हो गया।

15. प्राचीन गणितज्ञ ‘कात्यायन’ (Katyayana)

कात्यायन को वैदिककाल के आखरी गणितज्ञ कहे जाते हैं। उन्होंने कात्यायन सुलभ सूत्र की रचना की। जिसमें उन्होंने 2 के वर्ग मूल की पांच सही दशमलव स्थानों से गणनाविधि बतलाई। इसके अलावा उनका ज्यामिति और पाइथागोरस प्रेमय के संबंध में भी उल्लेखनीय योगदान दिया।

16. गणितज्ञ भास्कर प्रथम (Bhaskar First)

साथ ही भास्कर प्रथम को संख्या को दशमलव के रुप में हिंदू और अरबी शैली में लिखने के लिए जाना जाता है। भास्कर प्रथम प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ थे। उनका जन्म करीब 600 ईस्वी में माना जाता है।

इसके अलावा उन्होंने आर्यभट्ट की कृतियों पर टीका लिखी आर्यभटीयभाष्य के नाम से गणित एवं खगोलशास्त्र की प्रथम पुस्तक मानी जाती है। उन्होंने अंकगणित और बीजगणित में उल्लेखनीय योगदान दिया।

17. गणितज्ञ जयदेव (Jaidev)

जयदेव को भारत के नौवीं शताब्दी के प्रसिद्ध गणितज्ञ के रूप में जाना जाता है। उन्हें गणित के चक्रीय विधि(चक्रवला) विकसित करने के लिए जाना जाता है। उन्होने चक्रवाल विधि को और अधिक उन्नत बनाकर गणित में प्रसिद्धि हासिल की।

18. प्राचीन गणितज्ञ ‘पिंगला’ (Pingala)

प्राचीन भारत के महान गणितज्ञों में पिंगला का भी नाम लिया जाता है। उन्होंने संस्कृत में छंद शास्त्र की रचना की। बाइनोमियल थियोरम यानि द्विपद प्रमेय के जानकारी के बिना ही उन्होंने पास्कल त्रिकोणमिति को बतलाया था।

19. गणितज्ञ ‘संगमग्राम के माधव’

संगमग्राम के माधव दक्षिण भारत के महान गणितज्ञ और खगोलज्ञ थे। भारत के केरल राज्य के कोचीन के पास इरन्नलक्कुता के रहने वाले संगमग्राम के माधव को केरल स्कूल ऑफ एस्ट्रोनॉमी एंड मैथेमैटिक्स का संस्थापक भी कहा जाता है।

20. गणितज्ञ ‘श्रीराम शंकर अभयंकर’

श्रीराम शंकर अभयंकर एक भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ थे, जिन्हें उनके बीजगणितीय ज्यामिति (Algebraic Geometry) के लिए जाना जाता था। अपनी जिंदगी के आखिरी समय में वे ‘मार्शल पर्ड्यू विश्वविद्यालय’ में गणित के विशिष्ट प्रोफेसर प्रोफेसर थे।

21. भारतीय गणितज्ञ ‘सी आर राव’

सी आर राव भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ हैं उन्हें ‘थ्योरी ऑफ़ इस्टीमेशन’ के लिए पहचाना जाता है। इसकी महानता का अंदाजा इस बाद से लगाया जा सकता है की विश्व के 18 देशों के विश्वविद्यालयों द्वारा उन्हें डॉक्टरेट की डिग्रियां प्रदान की गई। उनके दर्जनों किताब और सैकड़ों शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं।

22. गणितज्ञ ‘सी एस शेषाद्री’ –

भारत के इस महान गणितज्ञ सी एस शेषाद्री को एलजेबरिक जओमिट्री में अमूल्य योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से गणित में स्नातक के बाद बॉम्बे विश्वविद्यालय में शोध करते हुए पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।

उन्हें शेषाद्री कॉन्सटेंट और नराईशम-शेषाद्री कॉन्सटेंट की खोज के लिए भी जाना जाता है। भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2009 में भारत के बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से अलंकृत किया।

इन नामों के अलावा भी आधुनिक भारत के गणितज्ञ में और भी कई नाम लिए जाते हैं जिनका गणित में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसमें तिरुक्कनपुरम विजयराघवन, एमएस नरसिम्हन, वी एन भट, अमित गर्ग, एल महादेवन आदि के नाम लिए जा सकते हैं।

भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ और उनका योगदान – Famous Indian Mathematician And Their Contribution In Hindi

भारत के गणितज्ञ का योगदान की बात करें तो उन्होंने अपने अमूल्य योगदान के द्वारा गणित को एक नई दिशा मिली। भारत के गणितज्ञ ने विश्व को शून्य, बीजगणित, दशमलव प्रणाली, त्रिकोणमिति, नकारात्मक संख्या के साथ साथ कई अमूल्य योगदान दिया है।

आर्यभट का योगदानशून्य के आविष्कारक और आर्यभटीय नामक ग्रंथ के रचियाता
श्रीनिवास रामानुजन का योगदानरामानुजन संख्या 1729 संख्या सिद्धांत ,गणितीय विश्लेषण में महत्वपूर्ण योगदान
कात्यायन का योगदानज्यामिति और पाइथागोरस सिद्धांत में उल्लेखनीय योगदान
गणितज्ञ नीना गुप्ता योगदानगणित के दशकों पुराने Zariski cancellation problem को हल किया
सी एस शेषाद्रीएलजेबरिक जओमिट्री में योगदान व शेषाद्री कॉन्सटेंट की खोज के लिए प्रसिद्ध
गणितज्ञ सी आर राव‘थ्योरी ऑफ़ इस्टीमेशन’ के लिए प्रसिद्ध

प्रश्न – भारत का सबसे बड़ा गणितज्ञ कौन है?

हमारे सूची में टॉप पांच भारतीय गणितज्ञ के नाम में आर्यभट्ट, रामानुजन, वराहमिहिर, हरीश चंद्र, नीना गुप्ता और भाषकराचार्य को शामिल करना चाहूँगा। वैसे मेरे लिस्ट में भारत के का सबसे बड़ा गणितज्ञ में आर्यभट्ट और रामानुजन है।

प्रश्न – भारत के प्रथम गणितज्ञ का क्या नाम है?

भारत के प्रथम गणितज्ञ में आर्यभट्ट का नाम लिया जा सकता है। भारत के 5 महान गणितज्ञ में आर्यभट का नाम सर्वोपरि है।

गणित में वर्ल्ड पाई डे कब मनाया जाता है?

गणित की संख्या वर्ल्ड पाई डे 14 मार्च को मनाया जाता है

Balkishan Agrawal

At the helm of GMS Learning is Principal Balkishan Agrawal, a dedicated and experienced educationist. Under his able guidance, our school has flourished academically and has achieved remarkable milestones in various fields. Principal Agrawal’s vision for the school is centered on providing a nurturing environment where every student can thrive, learn, and grow.

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