9303753286127016 प्रथम विश्वयुद्ध कब हुआ ? – कारण ,परिणाम || Pratham Vishwa Yudh

प्रथम विश्वयुद्ध कब हुआ ? – कारण ,परिणाम || Pratham Vishwa Yudh

प्रथम विश्वयुद्ध कब हुआ - कारण .
प्रथम विश्वयुद्ध कब हुआ - कारण .

Pratham Vishwa Yudh : प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत 28 जुलाई, 1914 ई को आस्ट्रिया द्वारा सर्बिया पर आक्रमण किये जाने के साथ हुई। यह चार वर्षी तक चला। इसमें 37 देशों ने भाग लिया।

प्रथम विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण आस्ट्रिया के राजकुमार आर्क ड्यूक फर्डिनेंड की बोस्निया की राजधानी सेराजेवो में 28 जून, 1914 को की गई हत्या थी।

प्रथम विश्वयुद्ध में सम्पूर्ण विश्व दो खेमों में बँट गया-मित्र राष्ट्र एवं धुरी राष्ट्र धुरी राष्ट्रों का नेतृत्व जर्मनी ने किया। इसमें शामिल अन्य देश थे- आस्ट्रिया, हंगरी, तुर्की, बुल्गारिया और इटली आदि ।

मित्र राष्ट्रों में इंग्लैंड, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस एवं फ्रांस शामिल था ।

गुप्त संधियों की प्रणाली एवं यूरोप में गुटबन्दी का जनक जर्मनी के चांसलर बिस्मार्क को माना जाता है।

आस्ट्रिया, जर्मनी एवं इटली के बीच त्रिगुट का निर्माण 1882 ई. में हुआ। त्रिगुट का सदस्य होने के व बावजूद इटली कुछ समय तक तटस्थ रहा और अन्ततः वह 26 अप्रैल, 1915 को ऑस्ट्रिया- हंगरी और जर्मनी के खिलाफ युद्ध में शामिल हुआ।

सर्बिया की गुप्त क्रांतिकारी संस्था थी— काला हाथ 

रूस-जापान युद्ध (1904-05 ई.) का अन्त अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट की मध्यस्थता से हुआ।

मोरक्को संकट 1906 ई. में पैदा हुई।

प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी ने रूस पर आक्रमण 1 अगस्त, 1914 ई. में एवं फ्रांस पर आक्रमण 3 अगस्त, 1914 ई. में किया ।

4 अगस्त, 1914 ई. को इंग्लैंड प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल हुआ।

26 अप्रैल, 1915 ई. को इटली मित्र राष्ट्रों की ओर से प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल हुआ ।

प्रथम विश्वयुद्ध के समय अमेरिका का राष्ट्रपति वुडरो विल्सन था।

अमेरिका 6 अप्रैल, 1917 ई. को प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल हुआ।

जर्मनी के यू बोट द्वारा इंग्लैंड के लूसीतानिया नामक जहाज को डुबाने के बाद अमेरिका प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल हुआ, क्योंकि उस जहाज पर मरनेवाले 1153 व्यक्तियों में 128 व्यक्ति अमेरिकी थे। जुलाई 1918 में ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका ने संयुक्त सैनिक अभियान आरंभ किया और जर्मनी तथा उनके सहयोगी देशों की हार होने लगी। सितम्बर, 1918 में बुल्गारिया, अक्टूबर, 1918 में तुर्की तथा 3 नवम्बर, 1918 की ऑस्ट्रेलिया तथा हंगरी के सम्राट ने आत्मसमर्पण कर दिया।

जर्मन सम्राट् कैंसर विलियम द्वितीय ने 10 नवम्बर, 1918 ई. को अपने पद से इस्तीफा दे दिया और हॉलैण्ड भाग गया। ऐसी अवस्था में समाजवादी प्रजातांत्रिक दल ने सत्ता अपने हाथों में लेकर एकतंत्र के स्थान पर गणतंत्र की स्थापना की और अपने नेता फ्रेडरिक एवर्ट को जर्मनी का चांसलर बनाया, नवम्बर, 1918 को युद्ध विराम की संधि पर हस्ताक्षर कर दिया फलस्वरूप प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ

18 जून, 1919 ई. को पेरिस शांति सम्मेलन हुआ, जिसमें 27 देश भाग ले रहे थे; मगर शांति-संधियों की शर्तें केवल तीन देश–ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका तय कर रहे थे।

पेरिस शांति सम्मेलन में शांति संधियों की शर्तें निर्धारित करने में जिन राष्ट्राध्यक्षों ने मुख्य भूमिका निभाई, वे थे— अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री लॉयड जॉर्ज और फ्रांस के प्रधानमंत्री जॉर्ज क्लेमेसो ।

वर्साय की संधि 28 जून, 1919 ई. को जर्मनी के साथ हुई। संधि के तहत् जर्मनी की सेना 1 लाख तक सीमित कर दी गयी। उससे वायुसेना एवं पनडुब्बियाँ रखने के अधिकार छीन लिए गए। जर्मनी के सारे उपनिवेश विजित राष्ट्रों ने आपस में बाँट लिए। > युद्ध के हर्जाने के रूप में जर्मनी से 6 अरब 10 करोड़ पौंड की राशि की माँग की गयी।

अन्तरराष्ट्रीय क्षेत्र में प्रथम विश्वयुद्ध का सबसे बड़ा योगदान राष्ट्रसंघ की स्थापना थी।

प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान होनेवाली वर्साय की संधि में द्वितीय विश्वयुद्ध का बीजारोपण हुआ ।

प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम – Pratham Vishwa Yudh ke Parinam

आर्थिक परिणाम

  1. प्रथम विश्व युद्ध से उद्योगों में हानि पहुँची वस्तुतः कल कारखानों के क्षतिग्रस्त हो जाने से उत्पादन में कमी आई व्यापार में गिरावट हुई इससे राष्ट्रों की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई।
  2. युद्ध के कारण यूरोपीय देशों का युद्ध खर्चा बढ़ा फलतः वे क्षतिग्रस्त हुए और ऋण को चुकाने के लिए नवीन मुद्रा छापी अतः मुद्रा का प्रसार हुआ इससे मुद्रा के मूल्य में कमी आई।
  3. युद्धों के दौरान यूरोपीय राज्यों ने अपनी शक्ति युद्ध कार्यों में लगा दी अतः औद्योगिक उत्पादन एवं परिवहन के साधनों का उपयोग युद्ध क्षेत्र में होने लगा।
  4. ऐसे में आपूर्ति तंत्र कमजोर हुआ वस्तुओं की उपलब्धता कम हुई अतः मूल्य वृद्धि की समस्या सामने आई।
  5. यूरोप में अमेरिका हस्तक्षेप की शुरूआत हुई, वस्तुतः यूरोप के पुन निर्माण के लिए अमेरिका ने ऋण प्रदान किया।
  6. अमेरिका शेयर बाजार में जब गिरावट आई तो अमेरिका पूँजी पर निर्भर यूरोपीय देश भी दुष्प्रभावित हुए।
  7. 1929 की वैश्विक आर्थिक मंदी के संदर्भ में इसे समझा जा सकता है। इस आर्थिक कमजोरी ने यूरोप में फासीवाद एवं नाजीवाद के रूप में तानाशाही शासन की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।

सामाजिक परिणाम

  1. युद्ध में बढ़ी संख्या में सैनिक एवं नागरिक मारे गए, इनके अंतिम संस्कार की समुचित व्यवस्था न होने के कारण संक्रामक रोगों का प्रसार हुआ फलतः मरने वालों की संख्या में वृद्धि हुई।
  2. विभिन्न देश के नागरिकों को अपने घर से ही नहीं राज्य से भी बेघर होना पङा फलतः शरणार्थियों की समस्या सामने आई।
  3. विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप समाज में महिलाओं की भूमिका बढ़ी, अब उनके कार्य क्षेत्र का विस्तार हुआ वस्तुतः पुरुष कार्यशील जनसंख्या युद्ध क्षेत्रों में लग गई अतः खेतों, कारखानों, कार्यालयों में कार्य करने के लिए महिलाओं को स्थान मिला ऐसे में उनमें राजनीतिक चेतना पैदा हुई और महिला अधिकारों को लेकर नारीवादी आंदोलन को बढ़ावा मिला इसी क्रम में महिलाओं को मताधिकार प्राप्त हुआ।
  4. नस्लवादी भेदभाव की भावना को चोट पहुँची वस्तुतः युद्ध के दौरान क्षेत्र एवं अश्वेत सैनिक मिलकर संघर्ष कर रहे थे अतः वीरता केवल श्वेत लोगों के पास है की अवधारणा खंडित हुई।
  5. युद्ध ने विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र में प्रेरक की भूमिका निभाई एक तरफ जहाँ युद्ध के नवीन साधनों जैसे टैंक, रासायनिक गैस आदि का विकास हुआ तो साथ ही लङाकू युद्ध के विमान का विकास हुआ और चिकित्सा के क्षेत्र में अनेक जीवन रक्षक दवाओं का विकास हुआ।

राजनीतिक परिणाम

  • प्रथम विश्व युद्ध ने जर्मनी, रुस, ऑस्ट्रिया के राजवंशों का अंत कर दिया और लोकतांत्रिक सरकारों के गठन को बढ़ावा मिला वस्तुतः मित्र राष्ट्रों में लोकतंत्र की प्रधानता थी जबकि इनके विरुद्ध संघर्ष कर रहे धुरी राष्ट्रों में राजतंत्र की बहुलता थी।
  • अतः इस युद्ध में लोकतंत्र की रक्षा का नारा दिया गया, जब मित्र राष्ट्र विजयी हुए तो इसे राजंतत्र पर लोकतंत्र की जीत मानी गई। अतः लोकतांत्रिक सरकारों के गठन को बढ़ावा मिला। हंगरी, चेकोस्लोवाकिया, पोलैंड स्वतंत्र राज्य के रूप में सामने आए।
  • विश्व शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघटन के रुप में राष्ट्र संघ का गठन हुआ।
  • विश्व राजनीति में अब यूरोपीय महत्त्व खोने लगा और अमेरिकी महत्त्व बढ़ने लगा।
  • यूरोप में नव स्थापित प्रजातांत्रिक सरकारें युद्ध की समस्याओं का समाधान नहीं कर सकीं फलतः लोगों का इस व्यवस्था से विश्वास उठने लगा और इसी क्रम में तानाशाही शासन की स्थापना को प्रोत्साहन मिला।
Balkishan Agrawal

At the helm of GMS Learning is Principal Balkishan Agrawal, a dedicated and experienced educationist. Under his able guidance, our school has flourished academically and has achieved remarkable milestones in various fields. Principal Agrawal’s vision for the school is centered on providing a nurturing environment where every student can thrive, learn, and grow.

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